आशना होते हुए भी आशना कोई नहीं ,
जानते सब हैं मुझे पहचानता कोई नहीं.....
हमने खुद से पैदा किये हैं ज़िन्दगी में मसले ,
वेरना सच यह है कि मसला कोई नहीं .......
मुख्तसर लफ्ज़ों में है यह आब मिज़ाज -ए -दोस्ती,
रबता बेशक है सब साईं वास्ता कोई नहीं ...
हमे खबर है कि हवा का मिज़ाज रखते हो
मगर ये क्या ज़रा देर को रुकते भी नहीं ............
जानते सब हैं मुझे पहचानता कोई नहीं.....
हमने खुद से पैदा किये हैं ज़िन्दगी में मसले ,
वेरना सच यह है कि मसला कोई नहीं .......
मुख्तसर लफ्ज़ों में है यह आब मिज़ाज -ए -दोस्ती,
रबता बेशक है सब साईं वास्ता कोई नहीं ...
हमे खबर है कि हवा का मिज़ाज रखते हो
मगर ये क्या ज़रा देर को रुकते भी नहीं ............
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